15 फरवरी से मरीजों का बायोमैट्रिक सत्यापन, गड़बड़ी करने वालों पर होगी कड़ी कार्रवाई

15 फरवरी से मरीजों का बायोमैट्रिक सत्यापन, गड़बड़ी करने वालों पर होगी कड़ी कार्रवाई


पटना / स्वास्थ मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना में अब मरीजों का बायोमैट्रिक सत्यापन होगा। 15 फरवरी से इसे लागू कर दिया जाएगा। योजना पूरी तरह पारदर्शी रखने के सभी उपाय किए गए हैं। गड़बड़ी करने वाले चिह्नित हो जाएंगे और ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। अब आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत पात्र लाभार्थियों के लिए हेल्थ बेनीफिट योजना में 1571 रोगों का पैकेज हो गया है। इसमें 270 रोगों के इलाज की राशि में वृद्धि की गई है। गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्री आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना पैकेज पर प्रशिक्षण कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।


मंत्री ने कहा कि नये पैकेज के तहत 15 फरवरी से इलाज हो सकेगा। बिहार में इस योजना के तहत गरीब मरीजों के परिवार को इलाज के लिए 5 लाख रुपए तक की राशि केंद्र और राज्य सरकार देती है। बिहार में सरकार और अस्पताल के बीच इस योजना का लाभ दिलाने के लिए स्वास्थ्य बीमा कंपनी शामिल नहीं है। राज्य में लगभग सवा साल पहले शुरू हुई इस याजना के तहत अब तक 1.58 लाख मरीजों का इलाज हो चुका है। लगभग 45 लाख से अधिक पात्र लाभार्थियों एवं 22 लाख परिवारों को गोल्डेन कार्ड जारी हो चुके हैं। उन्होंने निजी अस्पतालों से योजना में जुड़ कर अधिक से अधिक मरीजों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने में सरकार का साथ देने की अपील की।


मंत्री ने कहा कि इस योजना में मरीजों को कैशलेस और पेपरलेस इलाज की सुविधा है। बिहार में इस योजना के लिए 1.8 लाख परिवार के 5.80 करोड़ लाभार्थी चिह्नित हैं। अब तक राज्य के 20 लाख परिवार के 43 लाख लोगों को गोल्डन कार्ड दिया जा चुका है। रोजाना लगभग 30 से 32 हजार गोल्डन कार्ड बनाये जा रहे हैं। अप्रैल से हर जिला में मैं खुद जाकर योजना की समीक्षा के साथ ही गोल्डन कार्ड वितरण करुंगा।


बिहार स्वास्थ्य सुरक्षा समिति के कार्यपालक पदाधिकारी लोकेश कुमार सिंह ने कहा कि बिहार में 570 सरकारी और 205 निजी अस्पताल अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सभी अस्पतालों में बायो ऑथेंटिकेशन के माध्यम से भर्ती और डिस्चार्ज करते समय मरीजों का अनिवार्य प्रमाणीकरण होगा। अब तक 1.58 लाख मरीजों के इलाज पर 90 करोड़ की राशि खर्च हुई है। योजना से जुड़े अस्पताल अपने यहां तकनीकी रूप से समृद्ध करें। योजना का लाभ देने संबंधी सूचना बोर्ड अस्पताल के आगे लगाएं। राज्य के लोगों को अखबार और रेडियो के माध्यम से सूचना दी जाएगी कि किस अस्पताल में कौन रोग का विशेष इलाज हो सकेगा।