बीओआई के नए अफसरों ने पैसा ट्रांसफर करने पर की थी आपत्ति, बीएम ने कहा-नौसिखिया हो
भागलपुर / सृजन महिला विकास सहयाेग समिति काे लाभ पहुंचाने के लिए बैंक के अफसराें ने आरबीआई की गाइडलाइन काे ताक पर रख दिया। साथ ही जिन अफसराें ने सवाल उठाए, उसे भी मिसगाइड किया गया। नए अफसर ने जब आपत्ति जताई ताे उसे नाैसिखुए कहकर अपमानित किया गया। सीबीआई की जांच में इसका खुलासा हुआ है। जिला नजारत की पहली प्राथमिकी की जांच में बैंक ऑफ इंडिया, सबाैर शाखा के ब्रांच मैनेजर ज्ञानेंद्र कुमार की सृजन घाेटाला में संलिप्तता पाई गई है। वर्तमान में ज्ञानेंद्र कुमार उत्तरप्रदेश में जाेनल ऑडिट ऑफिस (लखनऊ, हजरतगंज) में सीनियर मैनेजर (ऑडिट) हैं।
बिहार सरकार की अाेर से अावंटित 9.53 कराेड़ के डीडी संख्या-557613 काे भागलपुर डीएम के इंडियन बैंक के खाता-6268727981 में जमा करना था। लेकिन ज्ञानेंद्र ने जिला नजारत के सहायक नाजिर अमरेंद्र यादव के साथ मिलकर उस डीडी काे सबाैर के बैंक अाॅफ इंडिया में सृजन महिला विकास सहयाेग समिति के खाता 462320110000163 में जमा करा दिया।
दाे अफसराें ने सीबीआई के सामने खोली ब्रांच मैनेजर की पोल
ज्ञानेंद्र कुमार ने डिपाेजिट स्लिप खुद भरा और वहां जमा कराया। इसके लिए डीडी काे बैंक के नए अफसर संताेष कुमार सिन्हा अाैर नेहा चाैधरी काे इंट्री अाैर सत्यापन करने को दिया। ज्ञानेंद्र ने संताेष काे इंट्री के लिए कहा ताे उन्हाेंने अापत्ति की। कहा कि ये डीडी सृजन के फेवर में नहीं, बल्कि भागलपुर डीएम के फेवर में है अाैर यह सृजन के खाते में ट्रांसफर नहीं हाे सकता है। इस पर ज्ञानेंद्र ने उन्हें कहा कि सृजन काे-अाॅपरेटिव बैंक है। इसमें ग्राहकाें का खाता है। इसमें सरकारी विभागाें का भी खाता है। डीडी के पीछे सृजन की मनाेरमा का सिग्नेचर है। इसलिए इसे सृजन के खाता में जमा कर दें। संताेष ने डिपाेजिट स्लिप पर किए ज्ञानेंद्र की लिखावट काे भी पहचान लिया। इसके बाद अापत्ति की ताे ज्ञानेंद्र ने दबाव बनाकर डीडी की इंट्री करवाई। संताेष ने सीबीअाई काे दिए अपने स्टेटमेंट में इसे कबूला है। कहा कि ज्ञानेंद्र का मनाेरमा से अच्छा संबंध था। डीडी की इंट्री के बाद जब उसके सत्यापन के लिए बैंक की नई महिला अफसर नेहा चाैधरी के पास भेजा ताे उन्हाेंने भी अापत्ति जताई। वह ज्ञानेंद्र के अंदर में ही ट्रेनिंग ले रही थी। ज्ञानेंद्र ने नेहा काे नाैसिखुए कहकर अपमानित किया। साथ ही, कहा कि मनाेरमा बैंक की प्रतिष्ठित ग्राहक हैं। बैंक में माेटी रकम जमा करती हैं। इसलिए जैसे काेई डीडी सृजन का अाए ताे उसे सबसे पहले जमा अाैर क्लीयर कराे। ज्ञानेंद्र अपने घर पर ही चेक व डीडी रखते थे अाैर सुबह में वेरिफिकेशन के लिए दे देते थे। नेहा ने भी सीबीअाई काे स्टेटमेंट दिया है कि मनाेरमा से ज्ञानेंद्र की बहुत नजदीकी थी। सीबीअाई जांच में यह स्पष्ट हुअा है कि वह नए अफसराें काे मिसगाइड करते थे कि सृजन महिला विकास सहयाेग समिति एक बैंक है अाैर थर्ड पार्टी चेक जमा कर सकते हैं। वह अफसराें पर दबाव डालकर डीडी व चेक की इंट्री व वेरिफिकेशन कराते थे, जाे भागलपुर डीएम का हाेता था अाैर राशि सृजन के खाते में जमा हाेती थी।
नाजिर अमरेंद्र ने सृजन काे फायदा के लिए बैंक मैनेजर काे एेसे किया सहयाेग
एसबीअाई के डीडी नंबर 557613 से बिहार सरकार से जिला नजारत काे राशि अावंटित की गई। यह डीडी इंडियन बैंक में भागलपुर डीएम के नाम से खाता 6268727981 में जमा हाेना था। लेकिन यह सृजन के बैंक अाॅफ इंडिया, सबाैर में जमा हाे गया। जबकि नजारत सेक्शन के रजिस्टर में चिपकाया गया डिपाेजिट स्लिप में दिखाया गया कि डीएम के खाते में राशि जमा हाे गई है। इस स्लिप पर हैंडराइटिंग नजारत के सहायक नाजिर अमरेंद्र कुमार का था। वहां के हेड नाजिर अाेम कुमार श्रीवास्तव ने सीबीअाई के सामने उसकी पहचान की। सीबीअाई के सामने हेड नाजिर ने स्टेटमेंट दिया कि उन्हाेंन अमरेंद्र काे डीडी जमा करने दिया था। जबकि डीडी भागलपुर डीएम के खाते में जमा नहीं किया। लेकिन बैंक अाॅफ इंडिया में सृजन महिला विकास सहयाेग समिति के खाते में वहां का स्टांप लगाकर अाैर पीछे मनाेरमा का हस्ताक्षरयुक्त डीडी जमा किया। वहां डिपाेजिटव स्लिप पर मैनेजर ज्ञानेंद्र की लिखावट पाई गई। यानी अमरेंद्र ने वह डीडी सृजन में जमा करने के लिए ब्रांच मैनेजर काे उपलब्ध कराया था।