बिजली के जिस निजीकरण पर बवाल, उसका भी जिक्र, बड़ा सवाल-क्या योजना बिहार में लागू नहीं होगी
पटना / बिजली के जिस निजीकरण पर बवाल मचा हुआ है, बजट में भी उसका चेहरा दिख गया। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या केंद्र की योजना बिहार में लागू होगी या नहीं? बजट में कहा गया, उपभोक्ताओं को मनचाही कंपनी से बिजली लेने का विकल्प मिलेगा। इसकी शुरुआत बिहार में हो चुकी है। बिहार में स्मार्ट मीटर लग रहा है।
निजी कंपनियां कनेक्शन देने के साथ बिजली सप्लाई देंगी
केन्द्र की योजना राज्य में लागू होने के बाद उपभाेक्ताअाें काे निजी कंपनियां कनेक्शन देने के साथ बिजली सप्लाई देंगी। उपभाेक्ताअाें काे माेबाइल फाेन की तरह एक से दूसरी कंपनी में स्विचअाेवर करने की छूट हाेगी। यानी, उपभाेक्ता बिजली कंपनी बदल सकेंगे, जाे कंपनियां क्वालिटी के साथ सस्ती बिजली देगी, उसका कनेक्शन ले सकेंगे। शनिवार काे केन्द्रीय बजट में देश के सभी उपभाेक्ताअाें के घराें में तीन साल के अंदर प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने अाैर मनचाही बिजली कम्पनी से बिजली लेने का चॉइस उपभाेक्ताअाें काे देने की घाेषणा की गई है। इसके मुताबिक बिहार के उपभोक्ता भी तीन साल में मनचाही कंपनी से बिजली कनेक्शन ले सकेंगे।
पहले ही हो चुकी स्मार्ट मीटर की शुरुआत
बिहार में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की शुरुआत बजट से पहले हाे चुकी है। साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी द्वारा अरवल अाैर नाॅर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी द्वारा मुजफ्फरपुर स्थित कांटी में स्माॅर्ट प्रीपेड मीटर लगाने का कार्य किया जा रहा है। राज्य में करीब 1.5 कराेड़ बिजली उपभोक्ता हैं। राजधानी में बिजली सप्लाई देने वाली पेसू क्षेत्र में उपभाेक्ताअाें की संख्या 5.5 लाख है। इनके घराें में लगे पाेस्टपेड इलेक्ट्रॉनिक मीटर काे हटाकर जल्द ही प्रीपेड मीटर लगाने का कार्य शुरू किया जाएगा। इसकी तैयारी बिजली कंपनी मुख्यालय द्वारा की जा रही है।
स्मार्ट मीटर के खर्च का भार आम उपभोक्ता पर
इधर, आॅल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे ने बजट में बिजली सेक्टर के बारे में की जाने वाली घोषणाओं को अव्यवहारिक बताया। उन्होंने कहा, देश में लगभग 30 करोड़ बिजली उपभोक्ता हैं। एक स्मार्ट मीटर की कीमत करीब 3000 रुपए मानी जाए तो स्मार्ट मीटर लगाने में 90000 करोड़ से अधिक खर्च होगा। बजट में बिजली और गैर परम्परागत बिजली के लिए मात्र 22000 करोड़ दिए गए हैं। बिजली आपूर्ति में कई निजी कंपनियों की प्रणाली लागू करने और स्मार्ट मीटर लगाने के नाम पर आने वाले खर्च का भार आम उपभोक्ता पर डाला जाएगा। इसकी भरपाई करने के लिए बिजली महंगी हाेगी।
निजीकरण काे लेकर बिजली इंजीनियर-कर्मी कर रहे हैं विराेध
इस मुद्दे यानी निजीकरण काे लेकर राज्य के बिजली इंजीनियर व कर्मी विराेध प्रदर्शन कर रहे हैं। 27 जनवरी काे विद्युत भवन के सामने विराेध प्रदर्शन के दाैरान इंजीनियराें अाैर कर्मियाें पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था। बिहार पावर इंजीनियरिंग सर्विस एसाेसिएशन (पेसा) और पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन (पेजा) ने 11 फरवरी को 24 घंटे की हड़ताल करने की घोषणा की है। पेजा महासचिव ने कहा, सुविधा एप के नाम पर कनेक्शन देने का कार्य निजी कंपनियों को दिया जा रहा है। एक महीने से उपभोक्ताओं को नया बिजली कनेक्शन जारी नहीं किया गया है। सुविधा एप पर नया कनेक्शन के लिए आवेदन देने वाले लोग इंजीनियरों पर गुस्सा निकाल रहे हैं। सरकार और प्रबंधन लिखित रूप से जब तक निजीकरण नहीं किए जाने की जानकारी नहीं देती, तब तक चरणबद्ध आंदोलन जारी रहेगा। 11 फरवरी सुबह 6 से अगले दिन सुबह 6 बजे तक पूरे राज्य के इंजीनियर और कामगार काम नहीं करेंगे। हालांकि, ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव अाैर ऊर्जा विभाग के प्रधानसचिव सह बिहार स्टेट पावर हाेल्डिंग कंपनी के सीएमडी प्रत्यय अमृत ने निजीकरण के बाताें से इनकार किया है। शुक्रवार काे विद्युत परिषद फिल्ड कामगार यूनियन के सम्मेलन काे संबाेधित करते हुए ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव ने कहा, बिहार सबसे पहला राज्य है, जिसने निजीकरण का विराेध किया है।
क्या है केंद्र की याेजना
केन्द्र सरकार अादित्य याेजना ला रही है। इसके तहत बिजली कंपनियाें काे लाॅस घटाकर 18 प्रतिशत करनी है। इस याेजना काे लागू करने वाली बिजली कंपनियाें काे केन्द्र सरकार से सहायता मिलेगी। पहला मॉडल- स्मार्ट मीटर, दूसरा मॉडल- पीपीपी माेड, तीसरा मॉडल- टाउनशीप फ्रेंचार्इजी, चाैथा मॉडल- मल्टीलेबल डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी।