क्या है कोरोनावायरस? और क्या इससे डरने की जरूरत है

 क्या है कोरोनावायरस, और क्या इससे डरने की जरूरत है


कोरोनावायरस का संक्रमण इन दिनों पूरी दुनिया में फैल रहा है। इसके कई संदिग्ध भारत में भी पाए गए हैं। इस वायरस को लेकर लोगों में कई सवाल और शंकाए हैं। लोग जानना चाहते हैं कि आखिर कोरोनावायरस क्या है, इससे कैसे बचा जा सकता है। बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के सूक्ष्य जीव विज्ञान विभाग की सहायक प्राध्यापक डा. सोनिया कुमारी ने दैनिक भास्कर के पाठकों के साथ इसकी जानकारी साझा की है। जानिए क्या है कोरोनावायरस डॉ. सोनिया के शब्दों में...


कोरोनावायरस, एक वायरस का ऐसा समूह है जो पक्षियों, स्तनधारी पशुओं और इंसानों में कई तरह की बीमारियां पैदा कर सकता है। इसका नाम कोरोनावायरस इसलिए रखा गया, क्योंकि इसको इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप से देखने पर इसकी सतह कुछ ऐसी दिखाई देती है जैसा कि हमारे सूर्य के चारों तरफ का चमकदार कोरोना हाे। ऐसा नहीं है कि इस वायरस के समूह को अभी खोजा गया है, बल्कि हमें इसके बारे में बहुत पहले से पता है। इस समूह के कुछ वायरस बहुत ज्यादा हानिकारक नहीं हैं। बहुत बार मौसम बदलते समय जो हमें जुखाम, नाक बहना, गला खराब होना या बुखार, इस तरह की छोटी-मोटी दिक्कतें आती हैं उनमें से बहुत-सी इसी वायरस की वजह से हो सकती हैं। लेकिन कुछ कोरोनावायरस बड़े घातक हैं और उनके संक्रमण से इंसान की मृत्यु तक हो सकती है।


2003 में 8000 लोग आए थे इसकी चपेट में: यह ज्ञात करना आसान नहीं है कि है जो संक्रमण हुआ है वह किसी घातक समूह का है या फिर कोई हल्का-फुल्का वायरल बुखार। पहले भी कई बार कोरोनावायरस का प्रकोप कई देशों में हो चुका है। 2003 में इसके प्रकोप से लगभग 8000 लोग ग्रसित हुए जिनमें से लगभग 10 प्रतिशत कालग्रस्त हो गए। इसमें जो कोरोनावायरस का प्रकार था उसे सीवियर एक्यूट रेस्पिरेट्री सिंड्रोम का नाम दिया गया। सन 2012 में भी कोरोनावायरस का प्रकोप हुआ और उसमें भी सैकड़ों लोग मारे गए। उस समय इसे मिडल ईस्ट रेस्पिरेट्री सिंड्रोम कोरोनावायरस का नाम दिया गया। 2015 में यही मिडल ईस्ट रेस्पिरेट्री सिंड्रोम कोरोनावायरस संक्रमित यात्रियों के साथ कोरिया पहुंचा और वहां पर इसकी वजह से लगभग ढाई हजार लोग बीमार हुए और उनमें से एक तिहाई लोग मृत्यु को प्राप्त हुए। इस प्रकार यह बहुत ही खतरनाक कोरोनावायरस सिद्ध हुआ। वर्तमान में चीन के वुहान प्रांत में इसका प्रकोप जारी है।


1 महीने में सौ लोगों की मौत: ऐसा समझा जाता है कि मांस और सी-फूड की थोक मंडी से इस कोरोनावायरस का संक्रमण हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस कोरोनावायरस का नाम 2019-nCoV दिया है और पिछले केवल 1 महीने में इससे लगभग एक सौ व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है। चीन की सरकार ने वुहान प्रांत से किसी को भी बाहर जाने पर रोक लगा दी है, ताकि संक्रमण को रोका जा सके। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अभी तक इसे मेडिकल इमरजेंसी तो घोषित नहीं किया है, लेकिन वहां पर स्थिति काफी गंभीर है। भारत समेत विश्व के लगभग सभी देश इस वायरस से निपटने की तैयारियों में जुटे हुए हैं। भारत सरकार ने अपने लगभग सभी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर आने वाले यात्रियों की, खासतौर से चीन से आने वालों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी है।



हमारी स्थिति : दुनिया के कई देश ऐसे हैं जहां पर मरीजों में इस वायरस की पुष्टि हो चुकी है। कई देश ऐसे भी हैं जहां पर मरीजों में इस वायरस की आशंका जताई जा रही है लेकिन पुष्टि नहीं हो पाई है। भारत भी उन देशों में से एक है। पिछले दिनों चीन से आने वाले कुछ व्यक्तियों को इसी दायरे में रखा गया है। बिहार में भी छपरा में एक ऐसा मामला सामने आया है। यह महिला चीन से आई थी और वापस आने पर इसे ऐसे ही लक्षणों के साथ अस्पताल में दाखिल कराया गया। भारत में अभी तक किसी भी मरीज में कोरोना वायरस होने की पुष्टि नहीं हो पाई है। इस महिला का भी खून जांच करने के बाद पता लगेगा की वास्तविक स्थिति क्या है। ऐसी परिस्थिति में क्या हमारे एक आम नागरिक को इससे डर जाना चाहिए? क्योंकि अभी तक भारत में एक भी मामले की कोरोना वायरस होने की पुष्टि नहीं हुई है इसलिए हमें डरने की जरूरत नहीं है। लेकिन सावधानी रखना अनिवार्य है। यदि आपको लगे कि आपका गला खराब है या आपकी नाक बह रही है या आपको तेज जुखाम या बुखार है, तो आप अपने चिकित्सक से परामर्श करें। संक्रमण से बचने के लिए जब भी आप घर से बाहर होते हैं, तो दिन में कई बार हाथ धोएं। बिना हाथ धोए अपनी आंखों, नाक या मुंह को मत छुएं। जो बीमार व्यक्ति हैं उनके ज्यादा नजदीक ना जाएं, उनसे दूरी बनाए रखें। सरकार द्वारा यदि कोई एडवाइजरी जारी की जाती है तो उसका पालन करें।