माता-पिता का जन्मदिन पूछने का मतलब नहीं, मुझे अपनी मां का डेट ऑफ बर्थ नहीं पता: नीतीश

माता-पिता का जन्मदिन पूछने का मतलब नहीं, मुझे अपनी मां का डेट ऑफ बर्थ नहीं पता: नीतीश


पटना / बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को जदयू की बैठक के बाद कहा कि एनपीआर कोई मुद्दा नहीं है। इसमें कुछ नहीं होना है। एनपीआर को लेकर देश में भय और भ्रम का माहौल बन गया है। बेहतर तो यह होगा कि केंद्र पहले से चले आ रहे तरीके को लागू करे। इसमें नया क्लॉज जोड़ने की क्या जरूरत है? गरीबों को कहां पता होता है कि उनके माता पिता का जन्म कब और कहां हुआ? मैं ही नहीं बता सकता कि मेरी मां का डेट ऑफ बर्थ क्या है। पहले इन चीजों का महत्व नहीं था। कहा जा रहा है कि जिसे माता पिता का जन्म स्थान और डेट ऑफ बर्थ पता नहीं हो वह नहीं बताएं। ऐसा करने पर खाली जगह रह जाएगा। इससे मन में संदेह होगा। बेहतर है कि इसे हटा दीजिए। 


जाति आधारित हो जनगणना 
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनगणना जाति आधारित होनी चाहिए। 1931 के बाद जाति आधारित जनगणना नहीं हुई। फरवरी 2019 में बिहार विधानमंडल से हमलोगों ने प्रस्ताव पास कराकर केंद्र सरकार को भेजा था। इस मामले को जो लोग भी देख रहे हैं उन्हें यह देखना चाहिए कि जब धर्म और जाति के आधार पर गिनती हो जाएगी तब योजना बनाने में आसानी होगी। यह पता चलेगा कि समाज का कौन सा तबका अभी भी हाशिए पर है और उसके लिए कैसी योजनाएं बनानी जरूरी हैं।


एनआरसी पर सवाल उठाने का मतलब नहीं
नीतीश ने कहा कि एनआरसी पर सवाल उठाने का कोई मतलब नहीं है। मैं पहले भी कह चुका हूं कि एनआरसी का कोई सवाल अभी अस्तित्व में ही नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कह चुके हैं कि इस मुद्दे पर अभी तक बात नहीं हुई है। जब प्रधानमंत्री कह रहे हैं तो इस पर उठ रहे तमाम सवाल खत्म हो जाते हैं। 


सीएए पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का करना चाहिए इंतजार
सीएए पर नीतीश ने कहा कि जब केंद्र ने एक बार कानून बना दिया तो राज्य के पास उसे लागू न करने का अधिकार नहीं होता। सीएए लागू नहीं करने का निर्णय जो प्रदेश ले रहे हैं उसका कोई मतलब नहीं है। विरोध या समर्थन अलग बात है। एक्ट बन जाने के बाद स्थिति दूसरी हो जाती है। सीएए का मामला  सुप्रीम कोर्ट में है। सबको सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चारिए। मेरा सबसे आग्रह है कि समाज में ऐसा वातावरण तैयार करें जिससे देश की एकता और अखंडता को ठेस न पहुंचे। सीएए पर अकारण इतना हाय-तौबा मचाने की क्या जरूरत है?