नागरिकता संशोधन कानून का सबसे ज्यादा लाभ दलित समाज को: सुशील मोदी
पटना / उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून का सबसे ज्यादा लाभ दलित समाज को मिलने वाला है। पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के शिकार अपनी बहू-बेटियों की इज्जत बचा कर भारत आए शरणार्थियों में दलितों की संख्या सर्वाधिक है। कुछ लोग इसका विरोध करने के साथ दलित-इस्लाम गठजोड़ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। अंग्रेजों के काल से यह प्रयास हो रहा है जिसे किसी भी कीमत पर कभी सफल नहीं होने दिया जायेगा। दलित समाज भ्रमित करने वालों से सावधान रहें क्योंकि वे सदियों से हिन्दू समाज के अभिन्न अंग हैं। मोदी भाजपा प्रदेश कार्यालय में महादलित मोर्चा की ओर से आयोजित ‘संत रविदास जयंती’ समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।
मोदी ने कहा कि डा. अम्बेडकर भारत के तो बंगाल के दलित परिवार में जन्में जोगेन्द्र नाथ मंडल पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री बने। मगर पाकिस्तान में दलितों पर होने वाले अत्याचार व भेदभाव से परेशान होकर जोगेन्द्र नाथ मंडल कुछ वर्षों के बाद ही उन्हें इस्तीफा देकर भारत वापस आना पड़ा।
उन्होंने लिखा कि पाकिस्तान में तो दलितों की हालत ज्यादा खराब है। इस्लाम व ईसाइयत कबूल कर लेने के बावजूद दलितों के साथ भेदभाव जारी रहता है। आज धार्मिक भेदभाव व प्रताड़ना के शिकार वैसे ही लोगों को नागरिकता देने के लिए कानून लाया गया है तो दलितों को बरगला कर दिल्ली के शाहीनबाग व अन्य जगहों पर विरोध किया जा रहा है। दलितों के हितों का विरोध करके कोई उनता हितैषी कैसे हो सकता है।
डॉ. अम्बेदकर ने जब कहा कि ‘वे हिन्दू पैदा हुए हैं, मगर हिन्दू रह कर मरेंगे नहीं’ तो उन्हें इस्लाम और ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रलोभन दिया गया। हैदराबाद के निजाम ने इस्लाम कबूल करने पर उस समय उन्हें 6 करोड़ रुपये देने का वायदा किया। मगर डा. अम्बेदकर ने बौद्ध धर्म को स्वीकार कर गांधी से किया अपना वायदा कि देश के इतिहास व संस्कृति की अक्षुण्ण परम्परा को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे, को पूरा किया।