पीड़ितों ने सीएम से कहा : पत्थलगड़ी समर्थित परिवारों ने जला दिए हैं सरकारी दस्तावेज, 84 परिवार खौफ में
सोनुआ / गुदड़ी प्रखंड के बुरूगुलीकेरा गांव की आबादी करीब 600 (लगभग 190 परिवार) हैं। लेकिन इस गांव में 100 से अधिक परिवार कोई सरकारी सुविधा नहीं लेते। उन्होंने सरकारी दस्तावेज भी जला डाले हैं। ये परिवार गुजरात के कुंवर केसरी सिंह संचालित पत्थलगड़ी विवाद के समर्थक हैं। जिन 7 लोगों की तालिबानी सजा के तर्ज पर कत्ल किया गया, वे उन 84 परिवार से हैं, जो पत्थलगड़ी के समर्थक नहीं हैं। ये परिवार मूल बस्ती से दूर जोनो व रायेदा टोला में रहते हैं। यह जानकारी गुरुवार को नरसंहार के शिकार लोगों के परिजनों ने सीएम हेमंत सोरेन को दी।
नरसंहार के शिकार जेम्स बूढ़ के भाई नाथूराम ने कहा- हम 84 परिवार पत्थलगढ़ी पंथ को नहीं मानते। इसलिए हमारे लोगों को मार दिया गया। सालों पहले दूसरे टोले के 100 से अधिक परिवारों ने सभी सरकारी दस्तावेज जला डाले हैं। हमारे पास सरकारी दस्तावेज हैं। हम राशन भी लेते हैं। जेम्स और उसके साथियों को मीटिंग में बुलाकर मारा गया है। गांव में पांचवे दिन (गुरुवार) भी सजा-ए-मौत का फरमान सुनाने वाले टोले में पत्थलगड़ी समर्थित पंथ की बैठक हुई। इधर, नरसंहार को लेकर गुदड़ी थाने में 14 नामजद सहित 200 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। नामजद आरोपियों में सुखराम बूढ़, राणसी बूढ़, प्रभुसहाय टोपनो, मानव बूढ़, मानसूख बूढ़, जितेंद्र बूढ़, एस. बूढ़, कोणे बूढ़, बिरसा बरजो, मिकेल चाम्पिया, एतवा भेंगरा, जयसिंह बूढ़ और बुधवा बूढ़ शामिल हैं।
ऊबड़-खाबड़ रास्ते से हिचकोले खाते हुए बुरुगुलीकेरा गांव पहुंचे
लोढाई से बुरुगुलीकेरा गांव के लिए रास्ता बीहड़ जंगल में घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में स्थित है। यहां पहुंचने के लिए आठ किलोमीटर के रास्ता में से पांच किलोमीटर का रास्ता काफी जर्जर, पथरीला और ऊबड़-खाबड़ है। सीएम इसी रास्ते से हिचकोले खाते हुए बुरुगुलीकेरा गांव पहुंचे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हेलीकॉप्टर से लोढाई स्थित सीआरपीएफ कैंप के पास मैदान में उतरे, जहां से सड़क मार्ग द्वारा उन्हें घटनास्थल बुरुगुलीकेरा ले जाया गया। वहां पंचायत भवन के पास सीएम ने मृतकों के परिजनों से बात की।
इन चार बिंदुओं पर समझें नरसंहार की कहानी
पत्थलगड़ी समर्थकों का तर्क
1- उपमुखिया जेम्स बुढ़ ने नौ साथियों के साथ 16 जनवरी गांव में पांच घरों में तोड़फोड़ की थी।
2- बाइक आदि तोड़फोड़ पर पत्थलगड़ी समर्थकों ने 19 जनवरी को ग्रामसभा बुलाई। इसमें नौ आरोपी भी पहुंचे।
3- आरोपियों में शामिल सुकवा और घुसरू भाग निकले तो भीड़ ने बाकी को मार डाला।
4- तोड़फोड़ के दिन 16 जनवरी को उपमुखिया जेम्स बुढ़ ने उग्रवादियों को बुलाया था। पत्थलगड़ी समर्थक इससे नाराज थे।
पत्थलगड़ी समर्थकों के तर्क पर ये उठ रहे सवाल
1- उपमुखिया सहित अन्य ने तोड़फोड़ की थी तो पुलिस तक मामला क्यों नहीं ले गए?
2- अगर आरोपियों ने तोड़फोड़ किया था तो किस हिम्मत से 19 जनवरी की सभा में सभी नौ आरोपी हाजिर हो गए?
3- जब दो लोग भाग गए तो बाकी सात को जान मारने की सजा का फैसला भीड़ ने कैसे ले लिया?
4- उपमुखिया ने उग्रवादियों को 16 जनवरी को बुलाया था और दो को किडनैप किया तो पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी?
आईजी नवीन सिंह ने पीड़ितों के परिजनों से मिलकर लिया हालचाल
पुलिस आईजी नवीन कुमार सिंह गुरुवार को उपमुखिया जेम्स बूढ़ के घर पहुंचे और वहां का जायजा लिया। आईजी के साथ राज्य के वरीय पुलिस पदाधिकारी साकेत कुमार भी थे। पीड़ित परिजनों के कंधे पर हाथ रख बंधाया ढांढस नरसंहार के शिकार जेम्स बुढ़ के भाई नाथूराम ने दावा किया- पत्थलगढ़ी पंथ नहीं मानने के कारण उसके भाई व अन्य को मार दिया गया। सीएम नाथूराम व अन्य पीड़ित परिवारों से मिले। उनके कंधे पर हाथ रखकर बातें की। ढांढस बंधाया।
विधायक जोबा मांझी बोलीं : अभी कुछ भी कहना ठीक नहीं है
बुरूगुलीकेरा विधायक जोबा मांझी का क्षेत्र है। विधायक घटना के तीन दिन बाद सीएम के साथ गांव पहुंची। ये क्या पत्थलगड़ी का मामला है, इस सवाल पर उन्होंने कहा- इस पर अभी कुछ भी कहना ठीक नहीं है।
मीडिया कर्मियों को रोका, फिर पत्थलगड़ी समर्थक से की मीटिंग बुरूगुलीकेरा में पत्थलगड़ी समर्थक बिरसा बरजो से भी सीएम और विधायक मिले। वहां मीडिया को जाने से रोक दिया गया। मीडिया कर्मियों के विरोध को देख सीएम खुद कारकेड से उतरे और कहा- कंफ्यूजन क्रिएट न करें। फिर बिरसा बरजो से बात कर सीएम लौट गए। इधर, बिरसा बरजो ने कहा- सीएम ने उन्हें किसी से बात करने से मना किया है।
मीडिया कर्मियों को रोका, फिर पत्थलगड़ी समर्थक से की मीटिंग
बुरूगुलीकेरा में पत्थलगड़ी समर्थक बिरसा बरजो से भी सीएम और विधायक मिले। वहां मीडिया को जाने से रोक दिया गया। मीडिया कर्मियों के विरोध को देख सीएम खुद कारकेड से उतरे और कहा- कंफ्यूजन क्रिएट न करें। फिर बिरसा बरजो से बात कर सीएम लौट गए। इधर, बिरसा बरजो ने कहा- सीएम ने उन्हें किसी से बात करने से मना किया है।