शाहीन बाग में बच्चे की मौत पर नेता प्रतिपक्ष ने श्रद्धांजलि दी, सदन में लगे "देश के गद्दारों को गोली मारो... को" के नारे

शाहीन बाग में बच्चे की मौत पर नेता प्रतिपक्ष ने श्रद्धांजलि दी, सदन में लगे "देश के गद्दारों को गोली मारो... को" के नारे


इंदौर / नगर निगम परिषद की आखिरी बैठक बुधवार को हंगामे के साथ शुरू हुई। नेता प्रतिपक्ष फाैजिया शेख ने जैसे ही शाहीन बाग में सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान बच्चे की मौत पर श्रद्धांजलि दी, सत्तापक्ष उग्र हो गया। विवाद इतना बढ़ा कि दाेनों ओर से जमकर नारेबाजी शुरू हो गई। विपक्ष के नेता बैठक में सीएए, एनआर और एनआरपी के विरोध में बैच लगाकर पहुंचे थे। हंगामे के बीच सदन में "देश के गद्दारों को गोली मारो... को" "वंदे मातरम" के नारे लगे। इस पर विपक्ष ने पूछा कि देश का गद्दार कौन है, यह भी बताएं। इसके बाद विपक्षी पार्षद धरने पर बैठ गए। बुधवार को निगम परिषद की आखिरी बैठक आयाेजित की गई। नई परिषद के गठन होने तक शहर में ‘अफसर सरकार’ चलेगी। इसके साथ ही नगर निगम महापौर मालिनी गौड़ और 85 पार्षदों का पांच साल का कार्यकाल खत्म हो जाएगा। अंतिम दिन महापौर और पार्षद कार्यकाल का लेखा-जोखा पेश होना है। बैठक के बाद संभागायुक्त निगम प्रशासक का प्रभार संभालेंगे। इंदौर निगम में 26 साल बाद ऐसा होगा। इससे पहले 1994 तक प्रशासक निगम को चला रहे थे।


सभापति ने श्रद्धांजलि पर जताई आपत्ति


निगम परिषद की आखिरी बैठक हंगामे के साथ शुरू हुई। सीएए के विरोध में पार्षद पद से इस्तीफा देने वाले उस्मान पटेल को व्यवस्था नहीं देने पर सवाल उठाए। इस पर सभापति अजय सिंह नरूका ने पत्राचार के अभाव में व्यवस्था देने से इंकार किया। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष ने शाहीन बाग में 4 माह के बच्चे की मौत पर श्रद्धांजलि दी। नेता प्रतिपक्ष के ऐसा करने पर सभापति ने इस पर आपत्ति जताते हुए इसे खारिज कर दिया। इसके बाद सदन में विवाद शुरू हो। सभापति की मौजूदगी में पक्ष-विपक्ष आमने-सामने हो गए। 


पार्षद अनवर दस्तक और बलराम वर्मा में तीखी नोक - झोंक
पार्षद अनवर दस्तक निगम परिषद की आखिरी बैठक में जलकार्य समिति के अध्यक्ष बलराम वर्मा पर खूब बरसे। नागरिकता कानून को लेकर हुई तीखी बहस में अनवर दस्तक ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार यह काला कानून वापस नहीं ले लेती तब तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेंगे। इन प्रदर्शनों में मैं शामिल होऊंगा और इस तरह के प्रदर्शनों का समर्थन करूंगा। अगर आप जैसा कोई सीएए का समर्थन करेगा तो उससे बहस करने के लिए मैं हमेशा तैयार हूं। 


ऐसे हुई विवाद की शुरुआत
बलराम वर्मा द्वारा सीएए, एनपीआर और एनआरसी का विरोध कर रहे विपक्षी पार्षदों पर टिप्पणी से विवाद की शुरुआत हुई। उन्होंने कहा कि यह लोग कानून को समझे बिना उसका विरोध कर रहे हैं और सड़क को जाम कर रखा है। ऐसे लोगों को बलपूर्वक हटा दिया जाना चाहिए। इसका जवाब देते हुए पार्षद अनवर दस्तक ने कहा की सीएए संविधान विरोधी कानून है। देश के तमाम दलित संगठन भी इसका विरोध कर रहे हैं। तमाम बुद्धिजीवी और कानून के जानकार सीएए को संविधान विरोधी और एनपीआर, एनआरसी को बदनीयती से भरा कदम निरूपित कर रहे हैं। सांप्रदायिक तत्व समझना ही नहीं चाहते कि दलित और मुस्लिम समाज की चिंताएं क्या हैं। सरकार सुनना नहीं चाहती। ऐसे में प्रदर्शनकारियों के पास यही रास्ता बचता है कि वह गांधीवादी तरीकों से आंदोलन करे।


आंदोलन से सरकार की नींद उड़ी


दस्तक ने कहा - पूरे देश में गांधीवादी तरीके से आंदोलन हो रहे हैं, जिसके कारण केंद्र सरकार की नींद उड़ी हुई है। सांप्रदायिक तत्व इस कानून में भी हिंदू-मुस्लिम का एंगल ले आए हैं। हम संविधान को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। गांधीवादी तौर-तरीकों को अपनाते हुए संविधान को बचाने के लिए हम अपनी जान भी दे सकते हैं। इस बहस के बाद निगम परिषद का माहौल गरमा गया। मुस्लिम और दलित पार्षद सीएए के खिलाफ बोलते रहे।